Share Market में Option Trading Kya Hai | शेयर बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है।


Option Trading Kya Hai – शेयर बाजार में फ्यूचर ट्रेडिंग क्या है। विकल्प की जानकारी लेने के बाद उसी का एक विकल्प है, ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading), आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको Option Trading Kya Hai के बारे में पूरी बेसिक जानकारी देंगें जिससे कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग को अच्छे से समझ सकते हैं।

शेयर बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है। Option Trading Kya Hai

ऑप्शन ट्रेडिंग Option trading फ्यूचर ट्रेडिंग से अलग है। यह भी डेरिवेटिव derivatives market बाजार का एक हिस्सा है। ऑप्शन ट्रेडिंग में आप का रिस्क लॉस सिमित होता है। यानी, ऑप्शन के लिए आप जो प्रीमियम अदा करते हैं, वह आपके द्वारा तय किया गया नुकसान है। ऑप्शन ट्रेडिंग में लाभ की कोई सीमा नहीं है, इसलिए ऑप्शन ट्रेडिंग में मुनाफा असीमित हो सकता है। और ऑप्शन ट्रेडिंग में एक और बात, टाइम वैल्यू बहुत मायने रखती है। आप का प्रीमियम समय के साथ घटता रहता है। और आखिरी दिन यह शून्य हो सकता है। ऑप्शन ट्रेडिंग ज्यादातर हेजिंग के लिए की जाती है।

ऑप्शन ट्रेडिंग के कितने प्रकार होते हैं

ऑप्शन ट्रेडिंग दो प्रकार के होते हैं।

  1. कॉल ऑप्शन Call Option
  2. पुट ऑप्शन Put Option

कॉल ऑप्शन Call Option को CE से जाना जाता है, और पुट ऑप्शन Put Option को PE से जाना जाता है।

शेयर मार्केट ट्रेडिंग में पॉजिटिव यानी की शेयर ऊपर जाने की संभावना होने पर कॉल ऑप्शन (Call Option CE) को ख़रीदते है। और नेगेटिव यानी की शेयर निचे जाने की संभावना होने पर पुट ऑप्शन (Put Option PE) को ख़रीदते है।

अगर आप शेयर मार्किट मैं ऑप्शन ट्रेडिंग करना चाहते हो, तो आपको चुनिंदा स्ट्राइक प्राइस के ऑप्शंस के साथ ट्रेड करना पड़ता है जो कुछ इस प्रकार हैं होते है।

इन द मनी ऑप्शन (ITM)
एट द मनी ऑप्शन (ATM)
आउट द मनी ऑप्शन (OTM)

कॉल ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होता है

कॉल ऑप्शन एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जो ऑप्शन खरीदार को किसी विशिष्ट समय अवधि के अंदर विशिष्ट मूल्य पर अंडरलाइंग एसेट्स खरीदने का अधिकार देता है।

लेकिन यह ऑप्शन खरीदार के लिए दावा ऑब्लीकेशन नहीं है, मतलब यह जरूरी नहीं है कि उसे ऑप्शन खरीदना ही पड़ेगा। अंडरलाइंग एसेट्स कुछ भी हो सकता है जैसे; स्टॉक, बॉण्ड, कमोडिटी

जब अंडरलाइंग एसेट की कीमत बढ़ती है तो कॉल ऑप्शन लेने पर खरीदार को लाभ होता है।

जिस विशिष्ट मूल्य पर कॉल ऑप्शन्स को खरीदा जाता है उसे स्ट्राइक प्राइस कहते हैं।

और जिस विशिष्ट समय के दौरान वह ऑप्शन बेचा जाता है उसे उस ऑप्शन्स की एक्सपायरी तारीख कहते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग के कॉन्ट्रैक्ट की Expiry हर महीने के आखरी सप्ताह के गुरुवार के दिन होती हैं, जबकि (INDEX Nifty BankNifty) निफ़्टी बैंकनिफ्टी ट्रेडिंग की Expiry सप्ताह के गुरुवार के दिन होती हैं।

ऑप्शन को खरीदने के लिए आपको जो भुगतान देना पड़ता है उसे प्रीमियम कहते हैं। ये वह भुगतान होता है जितना आप प्रत्येक शेयर पर ज्यादा से ज्यादा नुकसान कर सकते हैं।

शेयर बाजार मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ऑप्शन स्ट्रेटेजीस भी है, जिसका इस्तेमाल कर के ट्रेडर्स ऑप्शन्स ट्रेडिंग मैं मुनाफा प्रॉफिट बना सकते है।

कॉल ऑप्शन ट्रेडिंग Call Option CE को उदाहरण के साथ समझते है

मान लीजिए आप एसबीआई बैंक (SBI BANK) का शेयर प्राइस 300 रुपये पर चल रहा है. और आप सोच रहे हो अगले सप्ताह या आने वाले दिनों मैं शेयर का भाव बढ़ सकता है। तो ऐसे समय में आप एसबीआई बैंक (SBI BANK) का कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं।

अगर आपके अनुमान के मुताबिक एक्सपायरी डेट से पहले एसबीआई बैंक (SBI BANK) का शेयर प्राइस बढ़ता है तो आपके द्वारा खरीदे गए ऑप्शन के प्रीमियम की कीमत भी बढ़ जाएगी जिससे आपको प्रॉफिट होगा।

लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ मतलब एसबीआई बैंक (SBI BANK) का शेयर प्राइस पढ़ने के बजाय घट गया तो ऐसे ना आपकी ऑप्शन के प्रीमियम की कीमत भी कम हो जाएगी जिससे आपको नुकसान होगा।

पुट ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होता है

पुट ऑप्शन, कॉल ऑप्शन ट्रेडिंग के बिल्कुल विपरीत है। पुट ऑप्शन, यह आपको एक विशेष समय अवधि के दौरान, एक निश्चित मूल्य पर किसी अंडरलाइंग एसेट को बेचने की अनुमति देता है।

जब आप पुट ऑप्शन के कॉन्ट्रैक्ट को खरीदते हो , यानी कि आप उस शेयर के गिरने की तैयारी पर दांव लगा रहे हैं।

पुट ऑप्शन ट्रेडिंग Put Option PE को उदाहरण के साथ समझते है

अगर आपको ऐसा लगता है कि एसबीआई बैंक (SBI BANK) के नतीजे उम्मीद से नहीं आए है ओर इसके कारण एसबीआई बैंक (SBI BANK) के शेयर मैं बिकवाली हो सकती है अगले कुछ दिनों तक. तो उस समय आप एसबीआई बैंक (SBI BANK) का पुट ऑप्शन खरीद सकते हैं।

पुट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदने के बाद अगर एसबीआई बैंक (SBI BANK) मैं बिकवाली आती है और शेयर का भाव निचे की ओर जाता है तो आपको वह पुट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट मैं मुनाफा प्रॉफिट होगा।

लेकिन अगर एसबीआई बैंक (SBI BANK) के शेयर मैं खरीदारी आती है और शेयर का भाव ऊपर की ओर जाता है तो आप को नुकसान लॉस हो सकता है, हालांकि यह लॉस आप की प्रीमियम भुकतान के अंदर ही होगा।

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ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल CE और पुट PE मैं क्या अंतर होता है

  • कॉल ऑप्शन CE को शेयर बढ़ने की उम्मीद पर ख़रीदा जाता है , जबकि पुट ऑप्शन PE को शेयर गिरने की उम्मीद पर ख़रीदा जाता है।
  • कॉल ऑप्शन CE खरीदने पर तब मुनाफा प्रॉफिट होता है जब शेयर की कीमत बढ़ने लगती है।
  • जबकि पुट ऑप्शन PE खरीदने पर तब मुनाफा प्रॉफिट होता है जब शेयर की कीमत गिरने लगती है।
  • ऑप्शन ट्रेडर्स सेलर्स को शेयर या मार्किट ऊपर जाने की उम्मीद पर पुट ऑप्शन PE बेचना चाहिए और मार्केट नीचे जाने की उम्मीद पर कॉल ऑप्शन CE बेचना चाहिए।
  • ऑप्शन ट्रेडर्स खरीदार को बाजार में पॉजिटिव ट्रेंड के दौरान कॉल ऑप्शन CE खरीदना प्रॉफिटेबल होता है और बाजार में निगेटिव ट्रेंड के दौरान पुट ऑप्शन PE खरीदना प्रॉफिटेबल होता है।
  • कॉल ऑप्शन CE और पुट ऑप्शन PE दोनों कॉन्ट्रैक्ट को स्ट्रेटेजी बनाकर एक साथ भी खरीदी किया जा सकता है।

Conclusion: Share Market Me Option Trading Kya Hai

दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में हमने आपको Share Market में Option Trading Kya Hai | शेयर बाजार मेंऑप्शन ट्रेडिंग क्या है। के बारे में जानकारी दी है.

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