नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग Stock Market STI के एक और नए आर्टिकल में. आज की पोस्ट में हम बात करेंगे कि शेयर मार्केट में Depository Kya Hai, डिपॉजिटरी के प्रमुख कार्य क्या हैं और भारत में कितनी डिपॉजिटरी हैं.
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो आप लोगों ने Depository का नाम जरूर सुना होगा. लेकिन हममें से बहुत कम लोगों को ही Depository के बारे में पर्याप्त जानकारी होती हैं, लेकिन अगर आप शेयर बाजार को अच्छे से समझना चाहते हैं तो आपको इसके लिए शेयर बाजार की प्रत्येक विषय की जानकारी होनी चाहिए. Depository के बारे में कम्पलीट जानकारी प्राप्त करने के लिए आर्टिकल को अंत तक पढना जारी रखें.
तो चलिए दोस्तों बिना किसी देरी के शुरू करते हैं आज का यह आर्टिकल, और जानते हैं Depository क्या है विस्तार से.
शेयर बाजार में डिपॉजिटरी क्या है?
शेयर बाजार में depository एक ऐसी संस्था है जो निवेशकों के डीमैट अकाउंट खोलने का काम करती है. डिपॉजिटरी शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले निवेशकों का लेखा-जोखा अपने पास संभाल कर रखती है.
इसके अलावा डिपॉजिटरी निवेशकों के शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में तथा उनके वित्तीय डॉक्यूमेंट भी अपने पास रखती है. जब निवेशक को कंपनी की तरफ से लाभांश मिलता है या जिस कंपनी में उसने पैसे लगाए हैं उसके शेयर से लाभ प्राप्त होता है तो निवेशकों के इस लाभ को सीधे उनके बैंक अकाउंट में ट्रान्सफर कर देती हैं.
डिपॉजिटरी की शुरुवात SEBI के द्वारा की गयी थी. हर डिपाजिटरी एक स्टॉक एक्सचेंज से लिंक रहती है, भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज BSE और NSE है. जब आप कोई शेयर खरीदते हैं तो उसे डिपॉजिटरी ही बेचने वाले के अकाउंट से निकाल कर आपके अकाउंट में ट्रान्सफर करती है, इसी प्रकार जब आप कोई शेयर बेचते हैं तो डिपॉजिटरी आपके अकाउंट से शेयर निकालकर उसे खरीदने वाले के अकाउंट में ट्रान्सफर कर देती है.
जैसा कि आप जानते ही हैं शेयर बाजार में हर दिन हजारों – लाखों कि संख्या में शेयर की लेनदेन होती है इसलिए प्रत्येक डिपॉजिटरी अपने पास Depository Participant रखती है, जो कि एक स्टॉक ब्रोकर होता है. देश में अभी केवल दो डिपॉजिटरी है NSDL और CDSL और बहुत से डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट इनसे जुड़े है.
यह तो परिभाषा हो गयी Depository की, अब डिपॉजिटरी को आसान शब्दों में समझते हैं, वैसे आमतौर पर Depository का मतलब होता है ऐसी जगह जहां पर आप अपना कोई सामान जमा करके रख सकते हैं, हिंदी में Depository को गोदाम और भण्डार कहते हैं.
आप डिपॉजिटरी को बैंक की तरह समझ सकते हैं, जो कि आपके पैसों को सुरक्षित अपने पास जमा रखती है जिससे कि आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत ना पड़े. इसी प्रकार से डिपॉजिटरी आपके शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में अपने पास रखती है जिससे कि आपको शेयर को सर्टिफिकेट के रूप अपने पास ना रखना पड़े.
Depositories के मुख्य कार्य क्या है?
भारतीय शेयर बाजार में डिपॉजिटरी के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –
- डिपॉजिटरी डीमैट अकाउंट खोलने की सुविधा प्रदान करती है इसके अलावा शेयर का इलेक्ट्रॉनिक तरीके से लेनदेन हो सके उसका काम भी depository करती है.
- डिपॉजिटरी निवेशकों के सब्भी शेयर, म्यूच्यूअल फंड, सिक्योरिटीज आदि का लेखा – जोखा अपने पास रखती है.
- डिपॉजिटरी शेयर मालिकाना के रिकॉर्ड को मेंटेनेंस करती है और साथ में शेयर ट्रेडिंग हो सके इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करती है.
भारत में कितनी डिपॉजिटरी हैं?
वर्तमान समय में भारत में दो depository हैं उसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे जो इस प्रकार है –
#1 – NSDL (National Securities Depositories Ltd)
NSDL भारत की एक depository है जिसका पूरा नाम National Securities Depositories Ltd है. यह भारत की सबसे पुरानी depository है जिसकी शुरुवात 8 नवम्बर 1996 में हुई थी. इसके अंतर्गत National Stock Exchange यानी NSE, IDBI और Unit Trust of India सम्मिलित किए गए हैं. इसके अलावा दूसरे प्रकार के अन्य बैंक भी इसमें शामिल किए गए हैं इसके शेयर धारकों में Axis Bank, State Bank of India, Oriental Bank of Commerce HDFC Bank के नाम आते हैं.
#2 – CDSL (Central Depositories Services Ltd)
CDSL की शुरुवात फ़रवरी 1999 में हुई थी. इसका पूरा नाम Central Depositories Services Ltd है. CDSL बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के अंतर्गत आता है और यह भारत का दूसरा Security Depository है.
NSDL और CDSL में क्या अंतर है?
वैसे तो NSDL और CDSL दोनों ही depository माने जाते हैं लेकिन दोनों अलग संस्था माने जाते हैं. दोनों के काम एक जैसे हैं जब भी हम शेयर बाज़ार में निवेश के लिए अपना Demat Account खुलवाते है, तब हमारा Demat Account NSDL या CDSL किसी एक में ओपन किया जाता है. इनमें से किस में आपका डिमैट अकाउंट खोला जाएगा इस बात का तय आप नहीं करेंगे बल्कि ब्रोकर तय करता है.
NDSL और CDSL डिपॉजिटरी में सबसे बड़ा अंतर यह है कि NSDL नेशनल स्टॉक एक्सचेंज से लिंक है तथा CDSL डिपॉजिटरी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) से लिंक हैं.
कैसे जानेंगे कि आपका डिमैट अकाउंट कौन से डिपॉजिटरी में है?
जब आप अपना डिमैट अकाउंट खोल आएंगे तो आपके मेल आईडी पर depository के द्वारा आपको एक का वेलकम मेल भेजा जाएगा इस मेल में इस बात का वर्णन होता है कि आपका डिमैट अकाउंट किस डिपॉजिटरी के द्वारा ओपन किया गया है.
अगर आपको e-mail Services@cdslindia.com से आएगा तो मतलब कि आपका Demat Account CDSL में खुला है. और इसी प्रकार mail अगर NSDL की तरफ आएगा तो मतलब कि आपका Demat Account NSDL में खुला है.
ईमेल के अलावा आप Demat Account में अपनी ID को चेक करके भी पता कर सकते हैं कि आपका अकाउंट किस डिपॉजिटरी में खुला है. अगर आपका Demat Account NSDL में होगा तो आपकी ID की शुरुवात IN से होगी और बांकी के 14 नंबर होंगे. और अगर आपका Demat Account CDSL में होगा तो आपकी ID में 16 अंकों के नंबर होंगे.
तो दोस्तों इस प्रकार से आप बहुत आसानी से पता कर सकते हैं कि आपका डीमैट अकाउंट किस डिपॉजिटरी में खुला है.
Conclusion: Depository Kya Hai
तो दोस्तों आज के इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हमने आपको Depository Kya Hai, डिपॉजिटरी के प्रमुख कार्य क्या हैं और भारत में कितने डिपॉजिटरी हैं के बारे में कम्पलीट इनफार्मेशन दी है, और इसके साथ ही हमने आपको यह भी बताया है कि आप कैसे चेक कर सकते हैं कि आपका डीमैट अकाउंट किस डिपॉजिटरी में ओपन किया गया है.
हमें पूरी उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढने के बाद आप डिपॉजिटरी को अच्छी तरह से समझ गए होंगें. यदि अभी भी आपके में में इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न शेष हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं. हम जल्दी ही आपके सवालों का जवाब देने की कोशिस करेंगें. इस लेख को आप ज्यादा से ज्यादा शेयर भी करें जिससे अन्य लोगों को भी डिपॉजिटरी के बारे में सही जानकारी मिल सके.